उसी की बातें रहती है ज़ुबां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है , तस्वीर ख्वाब में नजर आसमां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है । नज़रों को पलको से यूं छुपाती है वो , चाहत हर पर नज़रों से दिखाती है वो , हूं फिदा उसकी नज़र - ए- कातिलां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है । उसी खातिर अन्दर से धड़कता है दिल , उससे हर बार मिलने को तड़पता है दिल , हूं उसी के इश्क़ - ए - निशां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है । डांट मेरे खातिर सुनती है वो , सेहरा प्यार का हर पल बुनती है वो , मुस्कुरा देता हूं उसकी खामियां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है । हर परग कुछ सोच कर चलती है वो , अपनों से कुछ जान कर जलती है वो , रहता हूं उसके हुस्न - ए - दुकां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है । नज़रों ने नज़रों से कह दिया है इश्क़ , दिल ने भी अब मान लिया है इश्क़ , लाना है बस दिल से ज़ुबां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है । तोड़ बेड़ियां अब नहीं सहना है , है उसी से इश्क़ यह कहना है , है लाना उसको अपने आशियां पर , शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।।