यह इक्कीसवीं सदी का भारत है

देश चरित्र कहां जा पहुंचा
दुष्कर्मियों के सायों में ,
या सत्ता पर काबिज बैठे
अपराधियों के छायों में ।
यह इक्कीसवीं सदी का भारत है
पूजनीय गाय काटी जाती है ,
बंद कमरों में लाचारी वो
औरत बांटी जाती है ।
ये कैसे नेता चुने गए जो
महफ़िल में होया करते है ,
सात सितारा होटल में
एसी में सोया करते है ।
वोट धर्म पर मांगे केवल
जनता तो कबसे रूठी है ,
सत्तर सालों से शासित वो
शासन सत्ता झूठी है ।
वर्ष कई बीते बस
जनता को लूटा जाता है ,
अपराधी के साथ बैठ
पीड़ित को सूता जाता है ।
आठ माह या आठ वर्ष
उस बच्ची की क्या गलती है ,
निर्मम क्रूर उन हैवानों की
हवस की भूख में जलती है ।

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