आओ बोल दे वो बातें जो कबसे ज़ुबां पे लाए बैठे है ।

एक दर्द है दिल में कबसे दबाए बैठे है  ,
इश्क भी उनसे कबसे जताए बैठे है ,
वो बाखबर हो कर भी बेखबर है ,
हम ही उनसे सारे वायदे निभाए बैठे है ।
हारे तो उसको पहले ही दिन थे यारों ,
लेकिन अब भी उसको इश्क़ में जिताए बैठे है ।
माना की वो सबसे खूबसूरत नहीं लेकिन ,
दिल तो हम अपना उनसे ही लगाए बैठे है ।
वो होठों के ऊपर तिल , और उसकी मुस्कुराहट ,
इन्हीं पर तो हम अपने होश गवाए बैठे है ।
और वो आंखों का काजल , जुल्फों का बिखरना ,
भीगे बालों पे तो उसके अपने दिल लुटाए बैठे है ।
अश्क भी उसकी यादों के साए में ,
इन आंखों पर कितने सितम ढहाए बैठे है ।
गाल पे उसकी इक बोसे की खातिर ,
यहां कितनों के हम दिल जलाए बैठे है ।
मिलता है उसके छुअन से सुकून मुझको ,
कबसे हम इन उंगलियों को तरसाए बैठे है ।
जानता हूं कि तुझको भी मिलता है सुकून बात करने पर ,
आओ बोल दे वो बातें जो कबसे ज़ुबां पे लाए बैठे है ।

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