कोई माखन लेकर आएगा ।।
उस गरीब की बस्ती में
कोई उजियारा करने आएगा ,
वो कोई मोदी सोनिया नहीं
ना गांधी ही कहलाएगा ।
कैसे कर रही है रातें
कैसे बीत रहे है दिन ,
उसकी दर्द कहानी को
सुनने कोई आएगा ।
राह देख रहा है वो उनका
जो वायदे करके गए है ,
उन वायदों को दोहराने
फिर कोई नेता आएगा ।
कितने तो जीते है मिलकर
मगर वो अकेला है बैठा ,
इस अकेलेपन को दूर
करने कोई आएगा ।
दिल है उसका छोटा
मगर गहराई है बहुत ,
उन भावना की गहराइयों में
डूबने कोई आएगा ।
गम है उसको इसी बात का
कोई दर्द सुनने आएगा ,
बेचारे शब्द से संबोधित करके
काका ही बुलाएगा ।
कष्ट बहुत है उसको इस वक़्त
करने की है चाह बहुत ,
उसके घाव भरने को
कोई माखन लेकर आएगा ।
उसको कहते है सब
रखलो मुझको अपने यहां ,
वो इस आस में बैठा है कि
कोई नौकर ढूंढने आएगा ।
उसका आशियां बना ही कब था
जो तोड़ने वाले आ पहुंचे ,
फिर कोई नेता काका कहकर
उसका घर बसाएगा ।
यही है भारत के गांव की गाथा
जो कहते मोदी आया है ,
वो दूसरों से क्या मिलेगा
जो अपनों से ना मिल पाया है ।
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