बुझा गया कोई हर प्यास अब मेरी प्यास कहां तुझमें

इजाज़ - ए - वक़्त का ही हश्र है कि वो इख्लास कहां तुझमें ,
बुझा गया कोई हर प्यास अब मेरी प्यास कहां तुझमें ।
गश - ए - इश्क़ में हम यहां अब तल्ख़ ना होश आया है ,
वो खुश है अभी तुझसे नया जो जौक़ पाया है ।
जो बातें ही नहीं हुई वो वजह तर्क - ए - तअ'ल्लुक की ,
जिसकी मुन्तजिर तू थी वो शायद लौट आया है ।
खियाबां के सारे फूल ये देख मुरझा गए ,
भंवर इकलौता मिलने सिर्फ जो तुझसे आया है ।
तब्सिरा करके तुझे बदनाम क्या करते ,
तेरी बेवफाई ने ही तुझे बदनाम करवाया है ।
जो रहने पर थी ज़िंदा वो मेरा एहसास कहां तुझमें ,
बुझा गया कोई हर प्यास अब मेरी प्यास कहां तुझमें ।।
मेरी नर्गिस के चर्चे हर जगह बेशुमार हो गए ,
जो दीदार कर बैठे वो तलबदार हो गए ,
लुटाते दौलतें क्या देख तेरे रुख्सार की लाली ,
झुकी पलकें तेरी हम तेरे कर्जदार हो गए ।
कभी थी छपी तस्वीर तेरी कोरे कागज़ पर ,
सुना है आज के वो दौर में अख़बार हो गए ।
जिन्हे रौनक - ए - गुलशन के कोमल फूल समझे थे ,
वो बनकर तीर नाफ़िज दिल के पार हो गए ।
जो दी थी मुस्कुराकर अब बची वो सांस कहां तुझमें ,
बुझा गया कोई हर प्यास अब मेरी प्यास कहां तुझमें ।।

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