देख वो मेरा जान ए बसर आया है
जो छुपा था शर्माकर बादलों में कहीं अब निकल वो क़मर आया है ,
चकरोड़ें अब खामोश पड़ने लगी शायद उससे मिलने का पहर आया है ,
अब छेड़ो तराना दूसरा कोई यार मेरे ,
उसकी बातों से मेरा गला भर आया है ।
मेरे आने से वाक़िफ नहीं मिरी दिल-नशीं शायद ,
इत्तला कर दो उसे की मिलने उसका मुन्तजिर आया
है ।
उसके पासबानों की इज्ज़त करके जिए अब तक ,
कह दो वो होकर उन सबसे बेखबर आया है ।
दिल के इक कोने में उसने छिपाकर रखा था जिसे ,
अब जाकर कहीं उसकी आंखों में वो नज़र आया है ।
एक आखिरी मुलाकात पर बोसा का इकरार हुआ ,
खिज़ा साथ होने का ये सफ़र आया है ।
छोड़ गए थे जिसे बिखरते हुए हम कभी ,
नज़रे खुली तो देखा वही बिखरा हुआ घर आया है ।
मुरझाए चेहरे खिलखिला कर बोल उठे ,
देख वो मेरा जान - ए - बसर आया है ।
जो टूट कर आसमां में गुम हो जाया करते है ,
देख वो टुकड़ा लौट कर आया है ।
कुछ खामोश , कुछ गुमशुदा-सा है तो रहने दो उसे ,
वो हलक से पीकर मोहब्बत का ज़हर आया है ।
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