तेरी ज़ुबां बहुत है ।

तेरी खामोशी के लफ़्ज़ निहां बहुत है ,
हर मुस्कुराहट के पीछे ये दिल परेशां बहुत है ,
न'अश समझ कर तुम दफनाने चली हो ,
बुलाओ तो सही अभी जां बहुत है ।
तेरे गालों को चूमने का अफसोस नहीं मुझको ,
तेरे अश्क ही गिरां बहुत है ।
मेरी जान के लिए हथियार की ज़रूरत क्या है ,
इसके खातिर तेरी ज़ुबां बहुत है ।
निकाल रहे हो हर एक कील आहिस्ते से मगर ,
ज़रा गौर करो अभी निशां बहुत है ।
दरीचे पे ही आकर मिल लिया करो मुझसे ,
तेरे द्वार पर निगाहबां बहुत है ।
कोई किरायेदार है तो रहने दो उसे ,
मेरे लिए खाली मकां बहुत है ।।

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