शायद मुझको इश्क़ हो गया है
उसी की बातें रहती है ज़ुबां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ,
तस्वीर ख्वाब में नजर आसमां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।
नज़रों को पलको से यूं छुपाती है वो ,
चाहत हर पर नज़रों से दिखाती है वो ,
हूं फिदा उसकी नज़र - ए- कातिलां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।
उसी खातिर अन्दर से धड़कता है दिल ,
उससे हर बार मिलने को तड़पता है दिल ,
हूं उसी के इश्क़ - ए - निशां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।
डांट मेरे खातिर सुनती है वो ,
सेहरा प्यार का हर पल बुनती है वो ,
मुस्कुरा देता हूं उसकी खामियां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।
हर परग कुछ सोच कर चलती है वो ,
अपनों से कुछ जान कर जलती है वो ,
रहता हूं उसके हुस्न - ए - दुकां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।
नज़रों ने नज़रों से कह दिया है इश्क़ ,
दिल ने भी अब मान लिया है इश्क़ ,
लाना है बस दिल से ज़ुबां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।
तोड़ बेड़ियां अब नहीं सहना है ,
है उसी से इश्क़ यह कहना है ,
है लाना उसको अपने आशियां पर ,
शायद मुझको इश्क़ हो गया है ।।
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