रूलाए जा रहा मुझे
तुम्हें ख़्वाब में देखने की ज़िद सुलाए जा रहा मुझे ,
तेरा बेवफ़ा हो जाना रुलाए जा रहा मुझे ।
दिन भी गुजर रहा खाली रातें भी गुजर रही ,
धीरे ये अकेलापन खाए जा रहा मुझे ।
एक गई फिर कई आएंगी इश्क़ का बाज़ार है ये ,
कई बरसों से यार मेरा समझाए जा रहा मुझे ।
एक तड़प तेरे जाने और एक मिल जाने की ,
तेरी याद में मेरा मन खुद भुलाए जा रहा मुझे ।
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