बीज जब बबूल का बोया जा रहा

धरोहरों को अपने संजोया जा रहा ,
निबाहों को साथ ही क्यों डुबोया जा रहा ?

आंचल में आम कहां से आएगा ,
बीज जब बबूल का बोया जा रहा ।

लोग कह रहे थे की आग सिर्फ़ जलाती है ,
यहां तो उससे पाप को धोया जा रहा ।

हिज़्र की रात उसकी , सब जानते ,
फ़ुर्सत से बैठ कर जो रोया जा रहा ।

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