कैसे फिर बहार ए चमन आएगा ?

कर्म बुरे हो किए तो फिर बुरा ही ज़मन आएगा ?
हवा का आइने में कैसे अक्स-फ़गन आएगा ?

वज़ारत जब जुबानों पर जा टिकी हो ,
तो कैसे फिर माथे पर शिकन आएगा ?

गुलज़ार दीवार - ओ - दर की ज़द में हो ,
कैसे फ़िर बहार - ए - चमन आएगा ?

तुम्हारा होना पुरखों की गलतियों का नतीजा हो ,
 कैसे फिर इन उंगलियों में फ़न आएगा ?

दूर कहीं वो किसी और की ज़िन्दगी में है ,
कहो कैसे फ़िर इस ज़िन्दगी में सुख़न आएगा ?

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