समाज विद्यालय और परिवार बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों से विमुख क्यों हो रहे है ???????
नया वर्ष प्रारंभ हो चुका
है मौसम भी मनुष्यों के साये में करवट बदल रहा है गनीमत रही कि इस वर्ष भी सर्दी
के प्रकोप से मध्य उत्तर प्रदेश की जनता को राहत है | सत्ता पे काबिज भाजपा भी
महिला सशक्तिकरण , डिजिटल इंडिया व अन्य कार्यक्रमों के ज़रिये समाज को आधुनिक बनने
मे लगी हुई है | आधुनिकता कि धुध मे समाज मे पनप रही बुराइयो को भूलते जा रहे है
और कही न कही उन बुराईयों ने समाज मे अपना वर्चस्व को स्थापित कर लिया है जिन्हें
रोक पाना असंभव – सा नज़र आने लगा है | परिवार की ज़रूरते पूरी करने के लिए जहाँ
पुरुष नौकरी कर रहा है वहीँ अतिरिक्त ज़रूरतों को पूरी करने के लिए महिलाऐं भी पीछे
नहीं हट रही है , वो भी नौकरी चाकरी में हाथ बंटा रही है | ज़रा गौर करे वो
ज़्यादातर नौकरियों का वक़्त ९ से ५ या १० से ६ होता है नाईट शिफ्ट भी है जो १० बजे
के बाद या उससे भी देर रात तक रहता है | एक महिला जो नौकरी कर रही है वो किन – किन
दायित्वों का पालन करने में जुटी है | उसे उसकी भी देख भाल करने का दायित्व है
जिसके साथ वो अपने जीवन मरण की कसमे खाई थी
| वो अपने बच्चो की परिवरिश भी करने में लगी है और नौकरी का बोझ तो सिर पर
हमेशा रहता है | सुबह उठकर ५ बजे बच्चों का टिफ़िन लगाने से रात ९ बजे रात्रि का
भोजन देने तक ना वो चैन से बैठ नहीं पाती ना ही ना ही अपने परिवार के ऊपर गौर कर
पाती है | इस बीच बच्चे ५ घंटे अपने माता पिता से दूर रहते है जिस उम्र में
शारीरिक खेल कूद चाहिए उस उम्र में अति विकसित मोबाइल फ़ोन में खेला करते है जिसका
सीधा असर उनके मानसिक दबाव के रूप में दिखता है | वे मनोरंजन के लिए फ़िल्मी दुनिया
का रुख करते है | फिल्म भी कहीं ना कहीं बदलते समाज का जिम्मेदार होती है | हाल ही
रिलीज होने वाली फिल्म ‘पैडमैन’ जो महिलाओं के मासिक धर्म की ओर आकर्षित करती है
कि महिलाओं को किन परिस्तिथियों के साथ गुजरना पड़ता है यह चीज अब सामान्य हो चली
है घर में औरतों की इस दिक्कत को मर्द भी समझने लगे है परन्तु यह इतना भी सामान्य
नहीं हुआ है की आप पैड यूज़ करके सड़क पर बहा दे उसे स्वच्छ भारत के अंतर्गत कूड़ेदान
में ही बहाए | फिल्मे समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में कारगर साबित हो रही है
परन्तु कही न कही बच्चों के बदले व्यवहार का कारण भी यही है | बच्चे आधुनिक हो
इसका मतलब ये नहीं की वे अपने से बड़ों का लिहाज करना भी भूल जाए , अपनी
संस्कृतियों को भूल जाए | यह माँ बाप का कर्तव्य बनता है की वो बच्चों को
शिष्टाचार बताएँ लेेेेकिन माँ बाप को आज कल बच्चों के लिए समय ही नहीं है सोशल साईट पर
बने रहना ज्यादा ज़रूरी हो गया है | हरयाणा में ५ रेप लगातार हुए जो की बेहद
शर्मनाक है हम अपने बच्चों को कौन सी शिक्षा दे रहे है जो वे इस घिनौने कृत्यों
में शामिल हो रहे है | चुटकुले जब अश्लील हो जाए तो आप समझ सकते हैं की समाज का
माहौल कितना ख़राब हो चुका है | ९ से १ बजे तक बच्चे विद्यालयों में रहते है
विद्यालयों का असर बच्चों पे ज्यादा प्रभावी रहता है वे जैसा विद्यालयों में
रहेंगे वैसे ही चौराहों पे भी शिक्षक भी क्या करे बच्चों को मारना भी तो अपराध हो
गया है पुलिस मार कर सुधारे वो मंज़ूर पर शिक्षक मारे वो सही नहीं है ये कहाँ का
न्याय है साहब ?? और बच्चों को मारकर हम डरा कर कुछ दिन ही चुप करा सकते है जिस दिन डर खत्म उस फिर वो वैसे हो जाएंगे बल्कि उनमें विचार डालकर आजीवन या तब तक जब तक उनको कोई और विचार हावी ना हो हम उनको शिष्टावान बनाए रख सकते है । ये शिक्षकों पर निर्भर है की वो कैसे सुधार करना चाहते है । हमने अगर अपने बच्चों को विद्यालय भेजे है तो वे वहां पे
कैसी शिक्षा ग्रहण कर रहे है क्या ये पूछना हमारा दायित्व नहीं है ? शिक्षकों को
ये पूर्ण अधिकार देना चाहिए की बच्चों को शिष्टावान , चरित्रवान बनाने के लिए किसी
भी हद तक जा सकते है ? यह भी एक बहस का विषय है । शिक्षक को ये अधिकार मिल जाएगा तो देश की रूप दशा ही बदल
जाएगी | माँ बाप बच्चो को पीट दे तो वे पुलिस बुला देते है | भारत को अमेरिका
बनाने का प्रयास ना करे इसे भारत ही रहने दे | यहाँ बच्चा आदर सम्मान पहले सीखे
पढाई बाद में | विद्यालय भी निजी हो चुके है कितने राजनेता व आला अफसर अपने बच्चो
को केंद्रीय विद्यालय या नवोदय में भेजते है क्योंकि वे भी वहां के माहौल से वाकिफ
है इसलिए वे अपने बच्चों को वहां नहीं भेजते है | निजी विद्यालय पैसों के भूखे होते
है उन्हें अपने भविष्य से मतलब होता है बच्चों के भविष्य से नहीं | अगर ऐसा ही चलता
रहा तो रेप का श्रेय माँ-बाप व विद्यालयों के चरित्र पे जाएगा जो भारतीय समाज के
लिए हानि की बात होगी | फिल्म के सीन बदलने होगे जिससे समाज पे सही असर पड़े | रेप
में ९९% जिम्मेदार अगर पुरुष होता है तो बिना प्रश्न किये उसे जेल में बंद कर देना
चाहिए | सरकारी क्या प्राइवेट कंपनी भी उन्हें नौकरी पर ना रखे | शादियों की उम्र
को थोडा घटाया जाए जिससे सब अपनी जिम्मेदारियों को समाज व अपने परिवार के प्रति
समझे | रेप होते रहे तो इसका श्रेय समाज , परिवार , विद्यालय व माँ बाप को जाएगा
यानी समाज विद्यालय और परिवार बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों से विमुख क्यों हो
रहे है ??????? खैर शायद यही लोकतंत्र है आप भी इसका आनंद लीजिये |
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