६७ वर्षों से अधिक आपको जनता के अधिकार बताने में लग गए तो विकास की बात मै करना ही नहीं चाहूँगा
आज अगर हम अपने आपको आधुनिक
दुनिया में कही न कहीं देख रहे है तो उसमे कहीं न कहीं फ़िल्मी दुनिया का बहुत बड़ा
हाथ रहा है और बच्चे इन्टरनेट से जुड़ रहे है गाँव गाँव में मोबाइल पहुँच रहा है
अच्छे मोबाइल फोन टच स्क्रीन की इस वक़्त बहुत ही ज्यादा मांग है | हमने समाज के विकास की प्राथमिक स्तर को बढ़ावा न देकर हम
द्वितीयक स्तर पर बढ़ावा दे रहे है यानी सरकार ने हमारी नींव को ही खोखला बनाए रखा
है | किसान उत्पादन तो कर रहे है लेकिन हम उन्हें अच्छे संसाधन उपलब्ध नहीं करवा
पा रहे है | वे कहीं न कहीं आज भी मौसम पे निर्भर कर रहे है | मल्टीस्टोरीज
बिल्डिंगो के निर्माण से हम अपने विकास सुख चैन को अंक नहीं सकते है | अगर लड़कियों के रात में घर आने से हम विकास की
बात कर रहे है तो ये गलत होगा क्यूंकि वो उनका अधिकार है जो संविधान में दिया गया
है यानी हम अपने संविधान में दिए अधिकारों का ही पालन अब तक नहीं कर पाए है |
हमारी सरकार कहीं न कहीं हमारे संविधान
में दिए हमारे अधिकारों को ही हम तक नहीं पंहुचा रही है | ६७ वर्षों से अधिक आपको
जनता के अधिकार बताने में लग गए तो विकास की बात मै करना ही नहीं चाहूँगा | आज की
जनता अपने अधिकारों से वाकिफ ही नहीं है यानी गणित में पहाडा याद करवाया ही नहीं
गया और सीधे गुना करने को दे दिया गया | आज हम स्वतंत्रता की बात तो करते है लेकिन
किस स्वतंत्रता की क्या जनता का ये अधिकार नहीं है की उसके द्वारा चुने गए प्रतिनिधित्व उनके लिए क्या कार्य कर रहे है वे
पूरी जानकारी दे मतलब यह की गाँव का चुना प्रधान ही अपने गाँव की जनता को सरकार से
जोड़ने में सामर्थ्य नहीं है कोई भी प्रधान चुन लिया जाता है तो वो खुद ही को
प्रधान मंत्री समझ बैठता है यानी अपनी जनता अपने समाज से मुखातिब ही नहीं होता है
जो चाय की नुक्कड़ो पे आसानी से मिल जाते है वे तो अब पुश्तैनी घरो में भी नहीं पाए
जाते है कही तो गड़बड़ी हो रही है | अगर प्रधान सीधे जनता से जुड़ा हो तो वो सरकार
से जनता को जोड़ने में कारगर साबित हो सकता है इसलिए ही छोटे स्तर पर ज्यादा सुधर
करने की आवश्यकता है हमने पिछले १० वर्षों में रोजगार की बात नहीं की प्राइवेट
सेक्टर की अंधाधुन्ध बढ़ोत्तरी से सरकार अपने अस्तित्व को खोती नज़र आ रही है | सभी
गाँव को छोड़ शहर की ओर क्यों जा रहे है ? क्योंकि हम दिल्ली को बढावा दे दिया
मुंबई को दे दिया लखनऊ , कलकत्ता , बंग्लौर , हैदराबाद लेकिन गाँव को क्यों छोड़
दिया क्योंकि यहाँ समाज अपने में खुश है वो और सुविधाओं की मांग नहीं करते है
ज़रूरते होती है पर वे पुरी नहीं कर पाते है इसलिए शायद वे उनके ख्वाब नहीं देखते
है ????????
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