आपदा को अवसर में बदलना

जम्बूद्वीप में इन दिनों मानसून का मौसम है मगर इसके किसी प्रांत में सूखा तो किसी प्रांत में भारी बारिश हो रही है। महाराजा से लोगों ने शिकायत की " महाराज भारी बारिश के चलते ताल तलैया सब भर गए है , मछलियां बह गई है और नालियां पानी से पट गई है और पानी सड़क के ऊपर बह रहा है , फसल डूब गई है " महाराज कुछ कीजिए । जम्बूद्वीप के महाराजा को यह बात अंदर  ही अंदर कचोटी और इस बोझ को हल्का करने के लिए उन्होंने वहां के लोगों से एक तरफा संवाद स्थापित किया और अपने मन की बात शुरू की । उन्होंने अपना बचपन याद करते हुए कहा कि हमारा घर तो तराई क्षेत्र में था और हर वर्ष ही बाढ़ आ जाती तो मैं घबरा जाता तब मेरी मां कहती की हर पल का आनंद लेना चाहिए और आपदा को अवसर में बदलना चाहिए । उनके भाषण को सुनकर जम्बूद्वीप के लोगों के नीरस जीवन में रस ही रस भर गया । जम्बूद्वीप के लोग हर्षोल्लाश से भर गए । इस आपदा को अवसर में कैसे बदले इसका मंथन नगरपालिकाओं में भी चालू हो गया और साफ़ सफ़ाई बढ़ गई जिससे पानी और तेजी से निकलने लगा । बाढ़ के पानी को निकलता देख एक मंत्री झन्नाते हुए राजा के पास पहुंचा और बोला महाराज देश के लोगों को उत्सव करने से जम्बूद्वीप की नगरपालिका रोक रही है पानी निकलने से लोग पानी का आनंद नहीं ले पा रहे है । राजा को यह बात नागवार गुजरी और उसे राष्ट्रहित के विपरीत मान कर नगरपालिका पे राष्ट्रद्रोह का फैसला सुना कर सभी नालियों नहरों को जाम करवाने का हुकुम दे दिया। अब नालियों नहरों के जाम होने से पानी लोगों के घरों में घुसने लगा अब जो लोग बाहर जाकर उत्सव करते उनके घर में ही कृत्रिम ताल का निर्माण हो गया और एक तल मकान पानी से भर गया । सड़कों पर पानी भर गया और उनमें राष्ट्रीय तैराकी संघ द्वारा तैराकी का आयोजन होने लगा । खाने के लिए मछलियां पकड़ कर वापस लाई गई और लोगों के घरों में डाल दी गई अब जम्बूद्वीप के बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोगों को खाने का एक सहारा मिल गया और जहां सूखा था वहां मछलियां बेचने का व्यवसाय भी करते । इस तरह से जम्बूद्वीप के कुशल राज नेतृत्व से लोग भूख से बचे और आपदा को अवसर में बदला । आने वाले कई वर्षों तक जब भी मानसून आता तो नगरपालिका नालियों नहरों को जाम करती और आपदा को अवसर में बदलती । वर्षों तक जम्बूद्वीप के लोग महाराज का जयकार करते और पूजते ।

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