मेरी खूबसूरती फ़िर कितनी ख़ूबसूरत होगी
जाने किसके आंखों की शरारत होगी ,
होगी किसी के बाहों में तो सलामत होगी ,
ये निगाहें जो तुम औरों से मिला बैठी हो ,
ये बात जीने के लिए कितनी गैरत होगी ।।
अख़बारों में खबरों की खाक छानती हो ,
मौत की खबर मेरी , बशीरत होगी ।।
मेरी बदसूरती से तुम इश्क़ जो कर बैठी हो ,
मेरी खूबसूरती फ़िर कितनी ख़ूबसूरत होगी ।।
वस्ल की रात और ये ख़ामोशी ,
बेवफ़ाई में न जाने कब ज़मानत होगी ।।
बड़ी ख़ामोशी से बाहर बैठे हो ‘गुमनाम’,
होगी तो आज की रात बहुत कयामत होगी ।।
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