बजट 2022-23

शुरुवात में कोरोना काल में हुई प्रभावित पढ़ाई की चिंता कर 200 चैनलों की शुरुवात की है । शिक्षा मंत्रालय अब तक क्या कर रहा था । उसे ये नहीं पता था कि पढ़ाई प्रभावित हो थी है या सारा काम वित्त मंत्रालय का ही है । सरकार उस वक्त भी महत्वपूर्ण कदम उठा सकती थी जबकि दो साल बीत जाने पे कदम उठाए जा रहे क्योंकि अभी तक ये सरकार यह मानने को ही तैयार नहीं थी की किसी की नौकरी गई है और उनके बच्चे असमर्थ है विद्यालय जाने में । शिक्षकों के घर में ही उनके लिए डिजिटल बोर्ड या अन्य व्यवस्था की जा सकती थी जिससे वे लाइव पढ़ा पाए ।
दूसरी बात जल संरक्षण की अभी नमामि गंगे कार्यक्रम का ही कुछ नहीं बताया गया की वो कितना सफल हुआ कितना असफल । हज़ारों करोड़ों सा आंकड़ा हमेशा बताया जाता है उसका उपयोग कहां हुआ कुछ पता नहीं ना ही उसका ब्यौरा दिया गया । जब विजन ही 5 साल का था तो ब्यौरा एक साल में कोई मांगेगा भी नहीं । ये मैनेजमेंट वालों ने चालाकियां कर गर्त कर दिया । कह रहे है पांच नदियों को जोड़ेंगे ये नहीं पता की जिस गांव के बगल से नदी जा रही वहां के लोग नदी से सिंचाई नहीं कर रहे उसकी व्यवस्था कीजिए लोग भूजल की जगह अन्य पर निर्भर हो कम से कम वो क्षेत्र जहां नदियां बगल से गई है । 
तीसरा अगले तीन साल में 400 वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएंगी यही आंकड़ा स्मार्ट सिटी का था इसका कुछ अता पता ही नही न ब्यौरा मिला की कितनी बनी पैसा कहां खर्चा हुआ । ट्रेन की हालत क्या है सब जानते है । जनरल डिब्बों का क्या हाल रहता है सब लोग भली भांति परिचित हैं । क्यों इनको बढ़ाया नहीं जाता क्योंकि इनके बढ़ने से लोग एसी और स्लीपर में सफ़र करना छोड़ देंगे ? इसीलिए मैंने बोला था ये जो मैनेजमेंट वालों की चालाकियां है ये ही गर्त कर रही । जितना आराम दायक सफर बना सकते है उसे बनाया जाना चाहिए । 
चौथा रोज़गार - कहा जा रहा 60 लाख रोजगार निजी क्षेत्रों में बढ़ाएंगे । कौशल विकास में प्रशिक्षित हुए छात्र को नौकरी मिली या नहीं इसकी गणना नहीं की जा रही । उनमें क्या कौशल की वृद्धि हुई ये भी नहीं पता । वास्तविकता से दूर एक कल्पना में जीना बहुत सुखद अनुभव होता है । रोजगार तो दे नहीं पा रहे जिनकी भर्ती निकाल के रखे है वो भर्ती पूरी नहीं करवा पा रहे और अलग से रोजगार कितना बढ़ा पाएंगे ये सरकार ही जाने । सीबीआई के 883 पद रिक्त है उसको कैसे भरा जाए ये नहीं पता । 911 करोड़ की रकम आवंटित की गई है । 60-70 करोड़ तो कहो इन बची 883 भर्ती की सैलरी में जाए । सबसे गरीब 80 करोड़ लोगों को राशन लेना पड़ रहा है अगर मनरेगा से रोज़गार असफलता को इमारत थी तो 80 करोड़ लोगों को भोजन देने की स्थिति पैदा होना ये क्या है और जब मूसलाधार बारिश में व्यवस्था ध्वस्त हुई तो उसी इमारत की छत के नीचे अपना सिर बचाने आए थे  ।।

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