खामोशी से इश्क़ हम जताए कैसे

लोगों को अपने खातिर भगाए कैसे ,
साथ है फिर साथ हम निभाए कैसे ,

नज़रों ने पलकों की चादर ओढ़ी है ,
खामोशी से इश्क़ हम जताए कैसे ।।

ये आंखे सिर्फ़ तुमको तकना चाहती है ,
लोगों की आंखों को बहकाए कैसे ।।

ज़िंदगी से उलझ हमने इश्क़ कर लिया ,
ये इश्क़ की पहेली अब सुलझाए कैसे ।।

एक पहिया हो तुम मेरी जिंदगी का ,
ये भरोसा तुमको हम दिलाए कैसे ।।

वस्ल की रा।त में भी नाराज़गी ,
एक बोसा से हम मनाए कैसे ।

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