आ गई तुम मेरी रातें बिगाड़ने

क्या आ गया शेर खुले में दहाड़ने ,
लग गए गीदड़ गला फाड़ने ,

एक गाड़ी रास्ते में क्या पलट गई ,
लग गए अपराधी मानवता झाड़ने ।।

एक पत्ती ने हिलने की खता क्या करी ,
लग गए लोग सारे पेड़ उखाड़ने ।

एक फ़ोन ने तेरे मेरा सब्र तोड़ दिया ,
आ गई तुम फ़िर मेरी रातें बिगाड़ने । 

वो भीगे बाल लेकर बाहर क्या गई ,
आ गया सारा मोहल्ला ताड़ने ।।


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