कई है किस्से फिर से उन पर लाद आया

 कई है किस्से फ़िर से उनपर लाद आया ,
तुम आई और मुरत्तब रूदाद आया ,

ख़ामोशी ओ दूरियों की जद में रिश्ते है ,
नज़रों के नज़रों का उफ्ताद आया ।

बरसों बाद जो देखा तुझको जी भर के ,
आहिस्ता वो इश्क़ पुराना याद आया ।

तेरी जुल्फों को छूकर क्या नज़रें गुज़री ,
दिल के फ़िर पिघलने का फरियाद आया ।

तुझपर पहला हक मेरा होना था ,
क्या खता की मैं ही सबसे बाद आया ।


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