देखा हसीन ख़्वाब मगर पल भर देखा ।।

तेरी निगाहों में देखा तो किसी का सबर देखा ,
तुझको देखा तो मैंने जी भर देखा ,

बाखबर थी तुम मेरे आने से मगर ,
जब भी देखा तुझको , मुझसे बेखबर देखा ।।

हाथों में किसी के नाम की मेंहदी रची है ,
तिरे हाथों में किसी के ख्वाबों का शहर देखा ।।

तलाश थी तिरी लकीरों में खुद की मगर ,
किसी ने देखा तिरी लकीरों में मुस्तकर देखा ।।

तुम दस्तक दे रही तमाम रातों के बाद ,
देखा हसीन ख़्वाब मगर पल भर देखा ।।

बड़ी उम्मीदी से डूबकर इन आंखों में तिरे ,
देखा प्यार लेकिन मुख्तसर देखा ।।

बड़ी शिद्दत से आखिरी बार देखते हो`गुमनाम` ,
देखा तेरी शादी में तुझको ता-सहर देखा ।।



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