जानते है बिछड़ने की अब तैयारी हो रही

जाने किसके आंखों की खुमारी हो रही ,
इश्क़ में तुम्हारे हिस्सेदारी हो रही ,

रोज़ झगड़ने की तुम आदत बनाई हो ,
जानते है बिछड़ने की अब तैयारी हो रही ।

आज कल मुलाकातों का दौर थम गया ,
आज कल दिल पर सितमगारी हो रही ।

किसी और खातिर तुमने पलकें बिछाई है ,
और हमसे इश्क की अदाकारी हो रही ।

आंखे अब आईने से अश्क है खोजती ,
आज कल हंसकर सिसकारी हो रही ।

कह रही थी दिल तुम्हारे बिन नहीं लगता ,
टूट गया तो रुख पे पर्दादारी हो रही ।

जिनको न देखने का वायदा था किया ,
आज कल उनसे निगह-दारी हो रही ।

झूठ बोलने वालों का कारवां चल रहा ,
सच बोल दो तो गिरफ्तारी हो रही ।

जब थे तो बहुत बुरे थे 'गुमनाम'
आज नहीं तो उनकी तरफ़दारी हो रही ।

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