कुछ अच्छा नहीं लग रहा तेरे बिना ,
तेरे सिवा कुछ अच्छा भी तो नहीं ।

कौन रौशन करे अंधेरी दुनिया मेरी ,
तेरे सिवा कुछ उजला भी तो नहीं ।

अश्क बह रहे हैं उनको बहने दो ,
इन चश्म में ख़्वाब तिरा भी तो नहीं ।

लौट कर आना चाहती हो मत आओ ,
मेरे घर आने का कोई रस्ता भी तो नहीं ।

आंखें रात भर रोती रही गुमनाम ,
इन आंखों में कुछ बचा भी तो नहीं ।।

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