सूना सूना सारा बाज़ार लगता है ।।
ये दिल कितना बेकरार लगता है ,
किसी की नजरों का शिकार लगता है ,
हिज़्र की रात और ये ख़ामोशी ,
कितना अजीब ये इंतज़ार लगता है ।।
आंखें उसकी जिस तरह से तकती उसको ,
दोनों का प्यार बेशुमार लगता है ।।
कमीज़ की जेबें जब खाली हो पड़ी ,
सूना सूना सारा बाज़ार लगता है ।।
किसी तालाब में डूबने का जी कर रहा ,
बहुत भारी अब जिंदगी का भार लगता है ।।
लहरों में लिपट जब मन हार जाए ,
किनारा भी तब बीच मजधार लगता है ।।
Comments
Post a Comment