तब 'गुमनाम' देखो किधर जाएंगे ??

आसमान बिजलियों से सज जाएंगे ,
बादल और तेज़ गरज जाएंगे ,

बत्तियां जलाने की अजमाइश में ,
लोग अपनी किस्मत से उलझ जाएंगे ।।

आसमानों ने भी अंधेरा कर लिया ,
धीरे धीरे चश्म खुद बुझ जाएंगे ।।

एक रात इश्क में बात न करो ,
जाने लोग क्या क्या समझ जाएंगे ।।

टूटकर तो फिर बिखर ही जाना है ,
एक रहे रिश्ते  सुलझ जाएंगे ।।

इश्क़ का दौर और ये ठंडी हवा ,
हिज़्र आएगी तो बरस जाएंगे ।।

जब ताल्लुकात की आखिरी डोर टूट जाएगी ,
तब 'गुमनाम' देखो किधर जाएंगे ??


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