रावण ने रावण को जलाया क्यों है
हर तरफ़ धुंध ही धुंध छाया क्यों है ? लोगों ने बत्तियों को बुझाया क्यों है ? आज भीड़ ने खुद को इक शक्ल में रखा है , हर शख़्स यहां पर ख़ुदा-या क्यों है? बुराईयों को पुतले में पेश कर रहे है वो , ऐब है तो फ़िर इतना सजाया क्यों है ? आंखों पर बंधी पट्टी हटा कर देखो , रावण ने रावण को जलाया क्यों है ? जब भरोसा है कि वो निर्णय लेगा एक दिन , फ़िर आज हमने ईश्वर को आज़माया क्यों है ? तुम अपनी नज़रें क्यों झुका रहे ' गुमनाम ' , जब जानते नहीं उन्होंने ठहाका लगाया क्यों है ?