चाहता हूं मैं उसकी आंखों में खो जाना ; खो जाने दो ।।

चाहता हूं मैं उसकी आंखों में खो जाना ; खो जाने दो,
जुदाई में वो गर नहीं रोना चाहती ; तो फिर मुस्कुराने दो ,

था कभी और है आज भी उससे इश्क़ बेइंतहां ,
अगर वो गैर की होना चाहती है , रोको मत हो जाने दो ।

कई बरसों से वो उसकी बांहों में सोना चाहती थी ,
सुकून से सो रही है , उठाओ मत सो जाने दो ।

वो कली थी रोशनी पाकर खिल गई होगी ,
अब उसको वही मुरझाना है , मुरझाने दो ।

वो तवायफ़ नहीं जो तोहफ़े देते और दिल लगा लेते ,
अब उसे कोई तोहफ़े दिला रहा है , दिलाने दो ।

उसका मुकर जाना बेवफ़ा कहे या मज़बूरी ,
मेरा ना सही किसी का भी साथ निभा रही , निभाने दो ।

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