गिरते गिरते पलकों से तेरी
दर्द , तूने जो दिए दिल में रहने लगे है ,
आखों के आंसू गम कहने लगे है ।।
साहिल पे दिन ढलते चलती फिजाएं ,
ज़ुल्फो से तेरी होकर बहने लगे है ।।
मुस्काती हो सुन कर उनकी ज़ुबाने
ख्वाहिश दिल के बदलने लगे है ।।
बांधे जो तूने झूठे पुलिंदे,
पहली ही बारिश में ढहने लगे है ।।
उनकी ही बातें दिन ओ रातें ,
दिल में जो तेरे अब रहने लगे है ।।
गिरते गिरते पलकों से तेरी ,
‘गुमनाम’अब गिरकर संभलने लगे है ।।
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