मुट्ठी तो खाली आई थी और ये खाली जाएगी ।।
वो जिन्दगी के सांचे में फिर से ढाली जाएगी ,
दिल में धड़कनों की फिर से बहाली आएगी ,
उसको हक मांगने को कोई अधिकार क्या ,
खिलाफ़ गर वो बोलेगी तो फिर पामाली जाएगी ।।
तुम हकीकत हो गई हो मगर ख़्वाब भी ज़रूरी है ,
रात बातों से तेरे चेहरे की लाली जाएगी ।
कौन किसकी जिंदगी खुश देखकर जी रहा ,
जिसकी जितनी इज्जत है उतनी उछाली जाएगी ।
ल'अमातों से हमारे घर बस रौशन रहे ,
फ़र्क किसको किसके घर में बदहाली आएगी ।।
शोहरतों से जलने वालों से ही दोस्ती करो ,
दुनिया भर से दुश्मनी थोड़े ही पाली जाएगी ।।
एक दिन तो मरना है ये सोच हर पल क्यों मरे ,
मौत जितनी हो सके उतनी तो टाली जाएगी ।।
तुम हमारे हाथ से क्या उठा ले जाओगे ,
मुट्ठी तो खाली आई थी और ये खाली जाएगी ।।
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