शायद हिंदुत्व वादी अब भाषणों तक सीमित रह गया है ????
आज वर्ष का २०१८ का पहला
दिन दर्द से कराहते पीठ , गर्दन , पैर व
कमर जितना हो सका भरसक कल नाचा गया खैर ये तो रहा अंग्रेजी वर्ष कलेंडर में नए साल
का जश्न था | मै उन भारतीयों और हिंदुत्ववादी लोगो की बात करना चाहता हूँ की आज
उनकी भारतीयता पे दाग नहीं लगा जो कल तक भारतीय चीजो के समर्थन में रैलियां निकल
रहे थे | वे कौन लोग है ? वे कहाँ से आते
है ? वे दो तरफ़ा बातें क्यों करते है ? हमारी सरकार हमारे विद्यालयों ने जिस
कैलेंडर को नहीं अपनाया तो फिर हम क्यों अपनाए ? हम अपने ही समाज को पीछे छोड़ते जा
रहे है , हम उन रीति रिवाजों को भूलते जा रहे है जिन्होंने हमें विदेशों में पहचान
दिलाई है | जिस संस्कृति को विदेशी सिर्फ ना देखने आ रहे बल्कि उसे अपना भी रहे है
तो उस संस्कृति को हम कैसे भूल सकते है ? अच्छा विदेशी वर्ष कैलेंडर वर्ष पूरा हुआ
तो जसं भी पूरा विदेशी तरीकों से मनाया गया | लोग शराब , सिगरेट , चखना लेकर इसका
जश्न मनाकर खुद को गर्वान्वित महसूस करते है | देसी तरीके जो सिर्फ हिंदी वर्ष
पूर्ण होने पे किये जाते है , वर्ष यहाँ भी पूरा हो रहा है परन्तु सलीका बदल
गया शराब की जगह भांग व् ठंडाई ने ले ली ,
सिगरेट की जगह गांजे ने ले ली और चखने की जगह भांग के गोले ने | शायद त्योहारों का
जश्न नशे तक सीमित रह गया है ?
खैर , गुजरात चुनाव भी
पूर्ण हुए सभी के परिणाम आए हमें इस बात
को यही रख कर गुजरात में हुई जुमलेबाजी पे ज्यादा ध्यान देना चाहिए ; जो कल तक हिन्दुत्ववादी और राष्ट्रवादी होने
पर सवाल प्रकट कर रहे थे वे आज विदेशी नए वर्ष कलेंडर पूर्ण होने पे जश्न क्यों मन
रहे है ? व् मिलन समारोह क्यों कर रहे है ? मेरा सीधे प्रश्न श्री नरेन्द्र मोदी
जी से है वे महामहिम जी को फूल नए वर्ष की शुरुवआत क्यों भेंट कर रहे थे ? अब उनका
भारत गुलाम नहीं हुआ सत्ता तो भारतीय है लेकिन संस्कृति तो विदेशी है | अब उनके भाषणों में दिए हिंदुत्व और पुरानी संस्कृति को भुलाने का आरोप जो काँग्रेस पे लगा था वो आप पे लगता तो बेहतर था |आप
सिर्फ लोगों को बेवकूफ़ बना रहे है इतने ऊँचे ओहदे पे विराजमान हो कर अपने शब्दों
से विमुख हो जाना कहा का न्याय है ? मोदी साहब जनता जवाब चाहती है | जो बातें की
उनका पालन नहीं किया इतने लम्बे भाषणों में मूल का पालन नहीं हुआ तो आप झूठे है मैं प्रत्यछ आरोप आप पे लगता हूँ और आप उनका पालन भी नहीं करोगे क्यूंकि वो वो शब्द
आपके थे ही नहीं , वे गठित उन चन्द लोगो के थे अगर वो भाषण आपके खुद होते तो आप
ज़रूर सोचते की काम क्यों नहीं हो रहा है | यही लोकतंत्र है ? आप भी इसका आनंद
लीजिये हमारे कलम उठाने से कुछ हमें ही गद्दार कहेंगे क्योंकि वे खुद ही हिंदुत्व
को गन्दा कर रहे है | शायद हिंदुत्व वादी अब भाषणों तक सीमित रह गया है ????
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