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देखा हसीन ख़्वाब मगर पल भर देखा ।।

तेरी निगाहों में देखा तो किसी का सबर देखा , तुझको देखा तो मैंने जी भर देखा , बाखबर थी तुम मेरे आने से मगर , जब भी देखा तुझको , मुझसे बेखबर देखा ।। हाथों में किसी के नाम की मेंहदी रची है , तिरे हाथों में किसी के ख्वाबों का शहर देखा ।। तलाश थी तिरी लकीरों में खुद की मगर , किसी ने देखा तिरी लकीरों में मुस्तकर देखा ।। तुम दस्तक दे रही तमाम रातों के बाद , देखा हसीन ख़्वाब मगर पल भर देखा ।। बड़ी उम्मीदी से डूबकर इन आंखों में तिरे , देखा प्यार लेकिन मुख्तसर देखा ।। बड़ी शिद्दत से आखिरी बार देखते हो`गुमनाम` , देखा तेरी शादी में तुझको ता-सहर देखा ।।

जानते है बिछड़ने की अब तैयारी हो रही

जाने किसके आंखों की खुमारी हो रही , इश्क़ में तुम्हारे हिस्सेदारी हो रही , रोज़ झगड़ने की तुम आदत बनाई हो , जानते है बिछड़ने की अब तैयारी हो रही । आज कल मुलाकातों का दौर थम गया , आज कल दिल पर सितमगारी हो रही । किसी और खातिर तुमने पलकें बिछाई है , और हमसे इश्क की अदाकारी हो रही । आंखे अब आईने से अश्क है खोजती , आज कल हंसकर सिसकारी हो रही । कह रही थी दिल तुम्हारे बिन नहीं लगता , टूट गया तो रुख पे पर्दादारी हो रही । जिनको न देखने का वायदा था किया , आज कल उनसे निगह-दारी हो रही । झूठ बोलने वालों का कारवां चल रहा , सच बोल दो तो गिरफ्तारी हो रही । जब थे तो बहुत बुरे थे 'गुमनाम' आज नहीं तो उनकी तरफ़दारी हो रही ।

आंखों में अश्क अब ठहर जाते है

इश्क़ है और इश्क़ बहुत जुनूनी है , ये हिज्र की रात जैसे चौगुनी है , वक्त पर तुम भी अब नहीं आती , चाल तुम्हारी बहुत मानसूनी है ।। कंगन से रुसवाई अच्छी नहीं , तुम्हारी हाथ की कलाई बहुत सूनी है ।। आंखों में अश्क अब ठहर जाते है , कोई चोट वाकई बहुत अंदरूनी है ।। बड़ी खामोशी से बाते हो रही थी ‘गुमनाम’ , छेड़ कर कह रहे बहुत बातूनी है ।।