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कहिया मिलन होई मोर सजनिया ...

बीतल न जाए दिनवा , बीते न रतिया , कहिया मिलन होई मोर सजनिया ,  दिनवा न गीनल जाए बहे आंखे पनिया,  कहिया मिलन होई मोर सजनिया ,  मंगिया में तोरा कहिया , सिंदूर(सेनूर) भराई , तोर पिरितिया में , रतिया सताई , कहिया सुनाई तोर पायल की छनिया, कहिया मिलन होई मोर सजनिया .... जऊन दिन अंचरा से तोहरे बंधाईब , वचन तोहरा से हम , सातों निभाइब, गले में मंगलसूत्र , होई अगिया के फेरिया, कहिया मिलन होई मोर सजनिया... तीन गो नीलकुरिंजी बीतल उमरिया, टूटे लागल अब गर्दिश के तरिया, देखी पतझड़ कितना निमवा के छंहिया, कहिया मिलन होई मोर सजनिया ....

तेरे गाल के एक बोसा ने मुझको पागल कर डाला ....

इश्क़ में जानां थे अधूरे आज मुकम्मल कर डाला , तेरे गाल के एक बोसा ने मुझको पागल कर डाला .... आंखे उसकी गर्दिश और हम उसके इक तारे थे , आंखों का तारा कहकर उसने आंखों से ओझल कर डाला... दिल से निकाला बड़े प्यार से पलकों पर बैठाया था , फिर अपने खाली दिल को उसने और भी चंचल कर डाला ... झूठ ही कहते कुछ न होगा तेरे रुखसत होने से , तेरी याद में आंखो को सावन का बादल कर डाला ... बेवफा की तोहमत देकर उसने दिल से बेघर कर डाला , खुद को मैंने दुश्मन की आंखों का काजल कर डाला... कहती थी मेरे जाने के सदमे तुम कैसे झेलोगे , दिल को यारों इन सदमों से रोज़ मुसलसल कर डाला ....