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Showing posts from January, 2022

सूना सूना सारा बाज़ार लगता है ।।

ये दिल कितना बेकरार लगता है , किसी की नजरों का शिकार लगता है , हिज़्र की रात और ये ख़ामोशी , कितना अजीब ये इंतज़ार लगता है ।। आंखें उसकी जिस तरह से तकती उसको , दोनों का प्यार बेशुमार लगता है ।। कमीज़ की जेबें जब खाली हो पड़ी , सूना सूना सारा बाज़ार लगता है ।। किसी तालाब में डूबने का जी कर रहा , बहुत भारी अब जिंदगी का भार लगता है ।। लहरों में लिपट जब मन हार जाए , किनारा भी तब बीच मजधार लगता है ।।

तब 'गुमनाम' देखो किधर जाएंगे ??

आसमान बिजलियों से सज जाएंगे , बादल और तेज़ गरज जाएंगे , बत्तियां जलाने की अजमाइश में , लोग अपनी किस्मत से उलझ जाएंगे ।। आसमानों ने भी अंधेरा कर लिया , धीरे धीरे चश्म खुद बुझ जाएंगे ।। एक रात इश्क में बात न करो , जाने लोग क्या क्या समझ जाएंगे ।। टूटकर तो फिर बिखर ही जाना है , एक रहे रिश्ते  सुलझ जाएंगे ।। इश्क़ का दौर और ये ठंडी हवा , हिज़्र आएगी तो बरस जाएंगे ।। जब ताल्लुकात की आखिरी डोर टूट जाएगी , तब 'गुमनाम' देखो किधर जाएंगे ??