Posts

Showing posts from March, 2023

मोहब्बत में सियासत नहीं देखी जाती

रूढ़िवादी रिवायत नहीं देखी जाती , मोहब्बत की झूठी रिसालत नहीं देखी जाती , कह रही थी उससे कोई ताल्लुक ही नहीं , उसके बाहों में तेरी शरारत नहीं देखी जाती ।। शरीफों की महफ़िल और लबों पर बोसा, हाय! ऐसी शराफत नहीं देखी जाती ।। तेरी ज़ुल्फ के छांव में उसका बैठ जाना , मुझसे तेरी इजाज़त नहीं देखी जाती ।। नाकामी आते ही तेरा चला जाना  , मोहब्बत में सियासत नहीं देखी जाती ।। न रखिए मोहब्बत के ताल्लुक हमसे , वफ़ा से बगावत नहीं देखी जाती ।। झूठों के तहों से जो एक झूठ लाई हो , उफ्फ़ ! ये वकालत नहीं देखी जाती ।।

दूर के ढोल क्या सुहाने लगे

दूर के ढोल क्या सुहाने लगे , अब हमको वो इश्क में आजमाने लगे , कुछ नाकामियों के बाद जानाँ , तुम्हें और रिश्ते पसंद आने लगे ।।    रिश्ते तोड़ने की रस्म अदायगी हो ,  बनाने में जिसको ज़माने लगे ।। मैंने सोचा की जिंदगी बसर होगी , इश्क करके अब पछताने लगे ।। कोई हो तुम्हारा तो तुमसे पूछे , बिछड़ने पर कितना याद आने लगे ।। तुम्हारे ख्वाब से फुर्सत मिलते , तुम्हारे ख्याल के शामियाने लगे ।।