शायद हिंदुत्व वादी अब भाषणों तक सीमित रह गया है ????
आज वर्ष का २०१८ का पहला दिन दर्द से कराहते पीठ , गर्दन , पैर व कमर जितना हो सका भरसक कल नाचा गया खैर ये तो रहा अंग्रेजी वर्ष कलेंडर में नए साल का जश्न था | मै उन भारतीयों और हिंदुत्ववादी लोगो की बात करना चाहता हूँ की आज उनकी भारतीयता पे दाग नहीं लगा जो कल तक भारतीय चीजो के समर्थन में रैलियां निकल रहे थे | वे कौन लोग है ? वे कहाँ से आते है ? वे दो तरफ़ा बातें क्यों करते है ? हमारी सरकार हमारे विद्यालयों ने जिस कैलेंडर को नहीं अपनाया तो फिर हम क्यों अपनाए ? हम अपने ही समाज को पीछे छोड़ते जा रहे है , हम उन रीति रिवाजों को भूलते जा रहे है जिन्होंने हमें विदेशों में पहचान दिलाई है | जिस संस्कृति को विदेशी सिर्फ ना देखने आ रहे बल्कि उसे अपना भी रहे है तो उस संस्कृति को हम कैसे भूल सकते है ? अच्छा विदेशी वर्ष कैलेंडर वर्ष पूरा हुआ तो जसं भी पूरा विदेशी तरीकों से मनाया गया | लोग शराब , सिगरेट , चखना लेकर इसका जश्न मनाकर खुद को गर्वान्वित महसूस करते है | देसी तरीके जो सिर्फ हिंदी वर्ष पूर्ण होने पे किये जाते है , वर्ष यहाँ भी पूरा हो रहा है परन्तु सलीका बदल गया शराब की जगह भांग व् ठंडाई ने ल