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बेवफाई को इतना बेकरार क्यों हो ?

इश्क़ में हमारे कर्ज़दार क्यों हो ? बेवफाई को इतना बेकरार क्यों हो ? मेरे जाने से बोझ हल्का हो गया , मगर अब भी तुम गम-ख्वार क्यों हो ? अश्क, आंखों की चौखट तक आकर पूछते है , अब भी तुम मेरे शहरयार क्यों हो ? नदी उस पार कर दूं तो रुखसत हो जाओगी, दानिस्ता पूछती हो बीच मझधार क्यों हो ? इश्क़ किसी से हो , वफ़ा का चर्चा हो , आजकल विज्ञापन से अख़बार क्यों हो ?