ISHQ KE NASHE ME CHUR AIYEGI
क्यों देख लड़की मुस्कुराकर घूरते हो मंद-मंद , बिताने कोई संग तेरे जन्नत-ए-हूर आएगी . नज़रे गिरा नखरे छुपा वो निकल ही जाएगी , होगी जो तेरे ख्वाबों में वो इश्क़ के नशे में चूर आएगी | फिर देख लेना घूर कर सात जन्मों तक उसे , कर लेना इज़्हार-ए-इश्क वो न तुमसे दूर जाएगी | जो हर परक को बार-बार देखते हो निहारकर , फिर देख लेना जालिम-ए-कमर मद मस्त चाल हो मजबूर जाएगी | अरे महक क्या तलाशते हो वो जन्नत नहीं दिखलाएगी , अरे घूल यूँ जाना उसके जिस्म में महक कस्तूरी आएगी | थोडा जला थोडा बुझा दिल दिल को सुकून न आएगा , किसी के दिल जलाने का एहसास न जलाने कपूर से आएगा | बुझा सको तो बुझा लेना जिस्म-ए-आग की तड़प , जो मेह्बूब तड़प बुझाएगी वो देख चाँद भी उसके नूर से शर्माएगा || द्वारा – ( अम्बरेश कुमार यादव )